ताजमहल का इतिहास ; History of Tajmahal in Hindi


ताजमहल का इतिहास ; History of Tajmahal in Hindi


ताजमहल  उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में, यमुना नदी के तट पर स्थित है। यह विश्व के सात आश्चर्य में से एक है । इसमें वास्तु कला का उत्कृष्ट नमूना देखने को मिलता है । इसका निर्माण मुग़ल सुलतान शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताजमहल की याद में बनवाया था ।  ये भारतीय और विदेशियो के आकर्षण का केंद्र है।  हर वर्ष लगभग 7 से 8 लाख पर्यटक ताजमहल देखने आते है । इसे ‘इस्लामी कला का रत्न ‘भी कहा जाता है ।

निर्माणकाल :
मुमताजमहल (1559 ई. to 1631ई.) परसिया की राजकुमारी थी । इनका असली नाम अर्जुमुंद  बानो था । वे पहले से शादी शुदा थी।  लेकिन  बहुत ही खूबसूरत थी । शाहजहाँ ने उनसे विवाह किया ।
मुमताज़ और शाहजहाँ  की 14वीं संतान ,गौहर बेगम को जन्म देते वक्त मुमताज़महल का  स्वर्गवास हो गया । उनकी मृत्यु 37 वर्ष ( 17  जून 1631) में हुयी । मुमताज महल शाहजहाँ की सबसे प्रिय पत्नी  थी । अतःशाहजहाँ ने उनकी याद मे  ताजमहल का निर्माण  कराया ।
कहते है कि मुमताज महल  की बुरहानपुर में मृत्यु हुयी थी । उन्हे वही दफनाया गया था । एक महीने के बाद उनके शव को कब्र से निकालकर शाहजहाँ आगरा ले गए । ताजमहल बनने तक मुमताजमहल के शव को एक ममी के रूप में लेप लगाकर रखा गया । इसके बाद ताजमहल में दफनाया गया । ताजमहल को बनवाने में लगभग 22 वर्ष लग गए । ताजमहल को बनवाने में लगभग 3 अरब 20 करोड़ रूपये लगे ।


वास्तु कला का उत्कृष्ट उदाहरण :

मुग़ल शहंशाह शाहजहाँ  एक आर्किटेक्ट भी था ।   ताजमहल का नक्शा और उसकी रूपरेखा स्वयं शाहजहाँ नें ही बनाया था ।
इसमे फ़ारसी ,तुर्की,भारतीय और इस्लामी वास्तुकला का अनूठा सम्मिश्रण देखने को मिलता है ।
ताजमहल के मुख्य द्वार में प्रविष्ट होते ही सुलेख अंकित है : “हे आत्मा! तू ईश्वर के पास विश्राम कर,ईश्वर के पास शांति के साथ रहे तथा उसकी पूर्ण शांति तुझ पर बरसे ।”
ताजमहल में लिखे लेख में कई सुरा वर्णित है । सुरा में  कुरान  की कई आयते मौजूद है ।
इसमें 28 तरह के क़ीमती पत्थरों कोें लगाया गया । इन पत्थरों को चीन, तिब्बत, और श्रीलंका से मंगवाया गया था । इसके निर्माण में लगभग 20,000 कारीगरों ने काम किया । इसमें 1000 से अधिक हाथियों यातायात के लिए इस्तेमाल किया गया । मुग़ल शिल्पकार उस्ताद अहमद लाहौरी के संरक्षण में इसका कार्य संपन्न हुआ ।
एक आश्चर्य यह भी है कि इसकी ऊँचाई कुतुबमीनार से 5 फ़ीट ज्यादा है । लेकिन इसके स्ट्रक्चर से  ऐसा लगता नही ।
प्रकाश के रिफ्लेक्शन ( reflection) के कारण ताजमहल प्रातःकाल गुलाबी (Pink),दुपहर को सफ़ेद(White) ,शाम को नारंगी (Orange)और रात को चाँदनी सुनहरे रंग (Golden) का दिखायी देता है । इसलिए  इतना आकर्षित लगता है ।

विशेष बात यह है कि ताजमहल की नीव एक ऐसी लकड़ी से बना है । जिसको नमी  की आवश्यकता होती है । यह नमी उसे यमुना नदी से मिलती है ।अतः यमुना नदी के किनारा ताजमहल होने का एक कारण यह भी है ।
मुख्य आधार :
ताजमहल का केंद्र बिंदु इसका संगमरमर का सफेद मकबरा है । इसमें मेहराब रुपी वर्गाकार द्वार है । इसके प्रत्येक किनारे 55 मीटर के है । इस ईमारत के ऊपर एक बड़ा गुम्बद है । जिसकी ऊँचाई 35 मीटर है । गुम्बदकारी छतरियां चारो किनारो पर स्थित है । इसमें संगमरमर के गुलदस्ते कमल के आकर के लगे है। मुख्य गुम्बद के किरीट पर कलश शामिल है । 1800 ईसवी तक यह सोने का था । अब यह काँसे का है । इस कलश पर चंद्रमा बना हुआ है । चंद्रमा और कलश कि नोक मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनाती है ।
मुख्य आधार के चारो कोने पर चार विशाल मीनारे है । यह प्रत्येक 40 मीटर ऊँची है । इनकी खासियत यह है कि ये यह बाहर की ओर झुकी है । यह इस बात का सूचक है कि आपदा में यह मुख़्य धरोहर की ओर न गिरे ।
बाहरी सौंदर्य :
ताजमहल की दिवारो, मेहराबोऔर जालियों में फ्लोरिड थुलुठ लिपि में है । ये फ़ारसी लिपि अमानत ख़ाँ द्वारा सृजित है । यह जिस्पर को संगमरमर के फलकों से जड़कर किया गया है । पूरे क्षेत्र में कुरान की आयते लिखी है । ऊँचाई को ध्यान में रखते हुए लेखन का ध्यान रखा गया है । जैसे जैसे ऊँचाई बढ़ती है ,लेखन का आकार बढ़ता जाता है । ख़ूबसूरती का बेहद ख्याल रखा गया है । मीनारों ,द्वार,मक़बरों की सतह पर पत्थर की नक्काशी, चित्रकारी का विशिष्ट रूप देखने को मिलता है । इसके साथ ही ज्यामितीय नमूने का अमूर्तरूप उकेरे गए है। पुष्पो और बेलबूटों का सुंदर चित्रण किया गया है । काले और सफ़ेद संगममर से जड़ाऊ का काम किया गया है ।

आंतरिक सौंदर्य:आंतरिक सौंदर्य में पत्थर और रत्नों की खूबसूरत कला देखने को मिलती है । आठ संगमरमर के फलकों से  बनी जालियों को अष्टकोण कब्र को घेरे हुए  है । हर फलक की जाली पंचकारी के महीन कार्य से गठित है । प्रत्येक फलक में एक प्रवेश द्वार है । अब केवल दक्षिण द्वार ही खुलता है । आंतरिक दीवार 25 मीटर ऊँची है । यह आंतरिक गुम्बद से ढकी है । यह सूर्य के चिन्ह से सजी है ।
इसके मुख्य कक्ष शाहजहाँ और मुमताज़ की नकली कब्र है । इसकी असली कब्र निचले तल पर है । असली कब्र में मुख दाये है और मक्का की ओर है । मुमताजमहल की कब्र आंतरिक कक्ष के मध्य में स्थित है । जिसका आयताकार संगमरमर आधार  1.5 मीटर चौड़ा और 2.5 मीटर लंबा है । शाहजहाँ की कब्र मुमताज महल के कब्र के दक्षिण की ओर है । मुमताज महल की असली कब्र में अल्लाह के 99 नाम खुदे है ।

ताजमहल के चारों ओर 300 वर्ग मीटर  का एक भाग है । जिसे चार बाग़ के नाम से जाना जाता है । इस बाग़ में 16 क्यारियां है । बाग़ के बीचोबीच में एक सुंदर तालाब है । जिसमें ताजमहल  का प्रतिबिंब दिखायी देता है । अन्य स्थानों पर कतारों से पेड़ और फौव्वारे फ़ारसी बाग़ से प्रेरित है । ताजमहल के चारो ओर रक्षात्मक  दीवारें है। यह दीवारें तीन ओर से लाल बलुआ पत्थर से बनी है । इन दीवारो के बाहर मक़बरे स्थित है । जिसमे शाहजहाँ की अन्य पत्नियाँ दफन
है ।
मुख्य मक़बरे के सामने दो विशाल बलुआ पत्थर की इमारतें है, जो पूर्वी और पश्चिम दीवारों से जुड़ीं है ।पश्चिमी ईमारत पर एक मस्जिद है । मस्जिद के फर्श पर 569 लोगों के लिए नमाज़ पड़ने हेतु बिछौना है । जो काले संगमरमर का बना है । पूर्वी इमारत को जवाब कहते है ।
ताजमहल का इतिहास :
शाहजहाँ ने ताजमहल की जमीन के बदले महाराजा महाराजा जयसिंह को आगरा शहर के मध्य एक विशाल महल दिया ।
ताजमहल के पूरे होने के बाद उसके पुत्र औरंगजेब ने शाहजहाँ को अपदस्थ कर आगरा किले में नजरबन्द कर दिया । उनकी मृत्यु के पश्चात उसे उनकी पत्नी के बराबर दफन दिया ।
19 वी सदी में ताज़महल की हालत बहुत ही दयनीय हो गयी थी ।1857 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों ने बहुमूल्य रत्न और कीमती पत्थर को निकल लिया था ।
1908 में जार्ज निथेनिकल ने एक बड़ा दीपक स्थापित कराया ।
1942 ईसवी में सरकार ने मक़बरे के इर्द गिर्द एक मचान सहित पेड़ बल्लियों का सुरक्षा कवच प्रदान किया । 1965 और 1971 चीन और पाकिस्तान की लड़ाई के समय भी ऐसा ही किया गया था ।
1983 में इसे ‘यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल’ घोषित किया गया ।
2007 में ताजमहल को विश्व के 7 आश्चर्य में शामिल किया गया ।
ऐसा कहा जाता ह की मानसून की प्रथम वर्षा में पानी की बूंदें इनकी कब्र में गिरती है इसके पीछे रहस्य यह है कि मक़बरे के ऊपर ताजमहल की छत पर एक छेद है । ताजमहल के  बनने के बाद शाहजहाँ ने जब कारीगरों के हाथ काटने की घोषणा कि तो उन्होंने ताजमहल को पूरा करने के बावजूद उसमे एक कमी छोड़ दी । जिसमे शाहजहाँ का पूरी ईमारत का सपना  पूरा न हो सका । लेकिन इन बातो का कोई ठोस साक्ष्य नही मिलता ।
वर्तमान समय में इसको सबसे ज्यादा खतरा पर्यावरण प्रदूषण से है । यमुना नदी का प्रदूषण ,मथुरा तेल कारखाने से धुएं के कारण अम्लीय वर्षा आदि इसको नुकसान पहुँचाने का कार्य कर रहे है । यदि इसे रोका नही गया तो इसके गम्भीर परिणाम होंगे ।

ताज़महल एक ऐसी ख़ूबसूरत विरासत है । जिसे जो भी देखता है । वो उसकी तारीफ किये बिना नही रह पाते । सच वो प्यार के रंग में बंध जाते है और ये प्यार उनका आत्मिक होता है । जो आपस में एक दूसरे को जोड़ते है । तभी इसे सब धर्मो के लोग देखने आते है ।

 


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