( Holashtak Kya hai In Hindi ) होलाष्टक क्या है :



होलाष्टक से तात्पर्य है कि होली के 8 दिन पूर्व से है अर्थात धुलंडी से आठ दिन पहले होलाष्टक की शुरुआत हो जाती है। इन दिनों शुभ कार्य करने की मनाही होती हैं। हिन्दू धर्मो के १६ संस्कारो को न करने की सलाह दी जाती है।  यह 22 March, 2021 से प्रारम्भ होगा । 29 मार्च धुलंडी के दिन रंग खेला जायेगा ।


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माघ  पूर्णिमा से होली की तैयारियां शुरु हो जाती है. होलिका में दो डंडो को स्थापित किया जाता है ,इसमें  एक होलिका का प्रतीक है  और दूसरा प्रह्ललाद से सम्बंधित है। ऐसा माना जाता है कि होलिका से पूर्व 8 दिन दाह- कर्म की तैयारी की जाती है। जो की मृत्यु का सूचक है। इस दुःख के कारण होली के पूर्व 8 दिनों तक कोई भी शुभ कार्य नही होता है। जब प्रह्लाद बच जाता है ,उसी ख़ुशी में होली का त्यौहार मनाते है । आज भी सिम्बल के तौर पर हम बुराई, अहम , घमंड को अग्नि में दहन कर प्रेम और भक्ति को अपना कर, आपस में भाईचारे को बनाकर  कर होली का त्यौहार मनाते है ।

ग्रन्थों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि भगवान् शिव की तपस्या को भँग करने के लिये कामदेव को शिव जी ने फाल्गुन की अष्टमी में भस्म कर दिया था। कामदेव की पत्नी रति ने उस समय क्षमा याचिका की और शिव जी ने कामदेव को पुनः जीवित करने का आश्वासन दिया। इसी ख़ुशी में लोग रंग खेलते है ।

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3 thoughts on “( Holashtak Kya hai In Hindi ) होलाष्टक क्या है :

  • March 17, 2017 at 8:54 am
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  • February 3, 2018 at 8:13 pm
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    why there is grih prabesh on 24 th feb 2018 in holashtak accoding to shashtra shubh karya should not be donein holastak pl explain the conrovercy

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    • February 4, 2018 at 8:13 am
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      राजीव जी,
      हमारी मान्यताओं और ज्योतिष शस्त्रो के अनुसार अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल तथा पूर्णिमा को राहु उग्र रूप लिए हुए रहते हैं । इससे पूर्णिमा से आठ दिन पूर्व मनुष्य का मस्तिष्क सुख और दुःख अनेक आशंकाओं से ग्रसित हो जाता है । इसके उपरांत चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को अष्ट ग्रहों की नकारात्मक शक्ति के क्षीण होने पर सहज मनोभावों की अभिव्यक्ति रंग, गुलाल आदि द्वारा प्रदर्शित किये जाते है ।
      हमारी मान्यताओ के अनुसार भगवान भक्त प्रहलाद को हिरण्यकश्यप द्वारा मारने का प्रयास चल रहा था । चारो ओर दुःख का माहौल था । होलिका दहन के बाद प्रहलाद के बच जाने पर खुशियां लौट आती है ।
      प्रेम के देवता कामदेव को शिव द्वारा भस्म करने की घटना का भी उल्लेख मिलता है । बाद में रति द्वारा विनय करने पर कामदेव को पुनः जीवन दान मिला । होलाष्टक के बाद पुनः खुशिया लौट आती है । अतः होलाष्टक में शुभ कार्य नही किये जाते ।

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