गीता के 10 अनमोल वचन : 10 Quotes Of Bhagavad Geeta


श्रीमद्भागवत गीता
श्रीमद्भागवत गीता

महाभारत के युद्ध के समय कुरूक्षेत्र में श्री कृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिए वे ही श्रीमद्भागवत गीता में समाहित है। इसमें 18 अध्याय और 700 श्लोक है।  श्रीमद्भागवत गीता में दुनिया के सभी समस्याओं का समाधान  है। इसमे  उपनिषदों और वेदो का भी सार है। गीता के अनुमोल वचन हमारी अमूल्य निधि है। आइये उसमे निहित 10 अनमोल  विचार जो आपकी जिंदगी बदल  सकती है :


1
‘जो हुआ वह अच्छा हुआ ,जो हो रहा है ,वह अच्छा हो रहा है। जो होगा वो भी अच्छा ही होगा।
तुम्हारा क्या गया ,जो तुम रोते  हो? तुम क्या लाये थे जो तुमने खो दिया ?
तुमने क्या पैदा किया जो नष्ट हो गया ? तुमने जो लिया यही से लिया।  जो दिया यही से दिया।
जो आज तुम्हारा है कल किसी  और  का होगा। परिवर्तन तो संसार का नियम है।  ‘

-श्रीमद्भागवत गीता


                                                                                                                             

                                                                                                                                                        

2.

‘क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है। जब बुद्धि व्यग्र  होती है,तब तर्क नष्ट हो जाता है, जब तर्क नष्ट हो जाता है। तब व्यक्ति का पतन नष्ट हो जाता है। ‘

-श्रीमद्भागवत गीता

3 .

‘तू करता वही  है , जो तू चाहता है ,होता वही है जो मै चाहता हूँ।
तू वही  कर ,जो मै चाहता हूँ ,फिर होगा वही ,जो तू चाहता है। ‘

-श्रीमद्भागवत गीता

4 .

‘साधारण मनुष्य शरीर को व्यापक मानता  है, साधक परमात्मा को व्यापक मानता है.

जैसे शरीर और संसार एक है , ऐसे ही स्वयं और परमात्मा  एक है।’

-श्रीमद्भागवत गीता

5.

‘जिसे अपने क्रोध पर अंकुश नहीं होता। उसे कोई और पराजित करे ,उससे पहले नियति पराजित कर देती है।’

-श्रीमद्भागवत गीता

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6 .

‘जो कर्म को फल के लिए  है ,वास्तव में ना उसे फल मिलता है और ना ही  वो वह कर्म  कर पाता हैं। ‘

-श्रीमद्भागवत गीता

7 .

‘जीवन में ऊँचा उठने के लिए पंखो की जरुरत केवल पक्षियों को  पड़ती  है।
 मनुष्य तो जितना विनम्रता से झुकता है ,उतना ही ऊपर उठता है। ‘

-श्रीमद्भागवत गीता

8 .

‘आत्मज्ञान  की तलवार से काटकर अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को अलग कर दो। अनुशाषित रहो, उठो।’

-श्रीमद्भागवत गीता

9 .

‘मै सभी प्राणियों को समान रूप से देखता हूँ। न कोई मुझे कम प्रिय है न अधिक।  लेकिन जो मेरी प्रेमपूर्वक आराधना करते है, वो मेरे भीतर रहते है और मै  उनके जीवन में आता हूँ। ‘

-श्रीमद्भागवत गीता

10 .

‘वह  जो मृत्यु के समय मुझे स्मरण करते हुए अपना शरीर त्यागता है , वह मेरे धाम को प्राप्त होता है। इसमें कोई संशय नहीं है। ‘

-श्रीमद्भागवत गीता

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2 thoughts on “गीता के 10 अनमोल वचन : 10 Quotes Of Bhagavad Geeta

  • April 13, 2020 at 8:37 pm
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    Bahut sunder pankhtiye see aapne Poora bhaghavad ka visleesar Kiya ha

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