Meerabai In hindi : मीराबाई का संक्षिप्त  परिचय :


कृष्ण भक्ति शाखा  के अंतर्गत  मीरा बाई का जन्म 1498 ईस्वी में जोधपुर के चोकड़ी (कुंडकी ) ग्राम में हुआ था।  उनके पिता जोधपुर के  शासक रतनसिंह  थे। बचपन से ही उन्हें कृष्ण के प्रति गहरी आस्था थी।


 मीरा बाई

वे उनकी अनन्य  भक्ति थी । अपने विवाह का विरोध करने के बावजूद उनका विवाह मेवाड़ के राजा राणासांगा के पुत्र कुँअर भोजराज से हुआ था। जब 25 वर्ष की थी । तभी उनके पति  की मृत्यु हो गयी।  पति की मृत्यु  के बाद उनको ससुराल वालो ने उन्हें सती  होने को बाध्य किया। लेकिन वे सती  नहीं हुयी ।
उन्होंने तो गिरधर  को ही अपना सब कुछ मान लिया था।  वे कृष्ण की भक्ति में लींन होकर सड़को में निकल जाती थी ,मंदिरो में जाकर भजन कीर्तन किया करती थी। यह सब उनके ससुराल वालो को  पसंद नहीं था । अतः  उन्होंने मीरा  को अनेक कष्ट  दिए। यहां तक कि उनको  विष का प्याला दिया गया । लेकिन भगवान् कृष्ण की सच्ची भक्ति के कारण उनको कुछ भी नही हुआ और वे  बच गयी।   लेकिन अनेक कष्टों को  सहते हुए भी उनकी आसक्ति और प्रेम  श्री कृष्ण से हटा नहीं बल्कि उम्र के साथ ही साथ बढ़ती  ही  गयी । पति  की मृत्यु के कुछ दिन के पश्चात् वे वृंदावन चली गई । वृंदावन की गलियों और  मंदिरो में साधु और संतो के बीच  श्री कृष्ण भक्ति और गुणगान ही उनको  अधिक  प्रिय था । वे रविदास की शिष्य बन गयी थी।  वृंदावन के बाद वे द्वारिका चली गई थी।1557 ईसवी मे  वही  पर एक मंदिर में श्री कृष्ण  की मूर्ति में समाहित हो गयी ।
उनकी रचनाओं में  मीरा पदावली ,’गीत गोविन्द टीका’ ,’राग सोरठ ‘और ‘नरसी का मायरा ‘ आदि है । मीराबाई की भाषा राजस्थानी ,ब्रज , गुजराती पंजाबी और खड़ी बोली थी । उनके भाव में अधिकतर भक्ति रस का उल्लेख मिलता है। उनकी रचनाओं में गेय पद मिलता है । मीरा के पद सुनने में मन को मोहने वाले होते है । उनके भजन सभी को भक्तिभाव में बांध लेते है । रूपक ,अनुप्रास और पुनरुक्ति अलंकार उनके पद की शोभा  बढ़ाते है ।
मीरा का प्रेम जाति बंधन को भी नकारता  है । संत रविदास को अपना गुरु मानना । एक साहसिक कदम है। मीरा कबीर की भांति समाज को फटकारती नही है बल्कि एक मधुर संदेश देती है । ईश्वर तक पहुँचने का एक ऐसा मार्ग बताती है । जिसका रस वे स्वयं तो लेती ही है भक्तो को भी उसमे सराबोर करती है । उनके पद इसके उदाहरण है । आज भी उनके भजन आत्मविभोर कर देते है । इसमें कोई संदेह नही है ।
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Meera bai ke pad in hindi

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