स्वतंत्रता दिवस पर निबंध : ESSAY ON Independence Day In Hindi
स्वतंत्रता दिवस पर निबंध : Essay On Independence Day In Hindi
15 अगस्त 1947 को हमारा देश गुलामो की जंजीरो से मुक्त हुआ था । आज हम स्वतन्त्र है। स्वतंत्रता दिलाने के लिए लाखों शहीदों ने अपनी कुर्बानी दी । आजादी के इस अवसर पर यदि हम उनको याद करके, उनके द्वारा बताये रास्ते पर चल सके । तो यही उन शहीदों के प्रति सच्ची श्रद्धांजली होगी ।
आज़ादी का उत्सव : प्रत्येक वर्ष पूरा देश स्वतन्त्रता दिवस को एक उत्सव के रूप में मनाता है । प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से झंडा फहराते है । साथ ही राष्ट्रगान के बाद ,अपने भाषण में वे देश के विकास और प्रगति का सन्देश देते है । इस अवसर पर देश के शहीदों को 21 तोपो की सलामी दी जाती है ।जल,थल और वायु सेनाये परेड करती है। जगह – जगह देश -भक्ति के गीत गाये जाते है । स्कूलों और कालेजों में देशभक्ति पर समारोह आयोजित किये जाते है । मिठाइयाँ बांटी जाती है । शहीदो को याद कर उनको श्रद्धांजलि दी जाती है ।
क्या हम आजाद है: इतनी कठिनाइयो और संघर्षो से हमे आजादी प्राप्त हुई । क्या हम आज आज़ादी का सही मतलब समझ पाये है ? क्या हम ग़रीबी और भ्र्ष्टाचार की गुलामी से मुक्त हो पाये है ।शायद नही !
आज फिर देश पर संकट के बादल छाए हुए है । राजनीति की परिभाषा बदल गयी है । अपने मतलब के लिये जाति और धर्म के आधार पर हम बँट गए है । आरक्षण और दंगो से देश जल रहा है । भले ही हम वैज्ञानिक और तकनीकी के क्षेत्र में आगे बढे हो । लेकिन हमारे नैतिक मूल्यों का पतन हुआ है । जहाँ गांधी जी ने सत्य और अहिंसा का का पाठ पढ़ाया था. वही आज भ्र्ष्टता को सामाजिक मान्यता मिल गई है । आर्थिक तौर पर तो हम गुलाम हो ही गए है । हमारी एकता खंडित हो रही है । कही इतिहास दोहरा तो नही रहा है ।
आजादी का सन्देश :आजादी के नाम पर अपनी मनमानी करना, हमे किस प्रकार की आजादी चाहिए ? क्या इससे देश की प्रगति हो सकती है ? आज अमीरी और ग़रीबी के बीच की खाई बढ़ती जा रही हैै । समानता का नारा दे देने से असमानता खत्म नही होगी । कार्यो का कार्यान्वयन और उनकी मंशा ठीक होनी चाहिए । आज फिर राजनीति में सच्चे और देश भक्ति लोगो की जरुरत है । जिनका नैतिक स्तर ऊँचा हो । जो निडर होकर देश को विकास और प्रगति की ओर लेकर जाये । हमारा यह फर्ज होना चाहिये की देश प्रेम की भावना को जगाये रखें । अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर देशहित और मानवता के लिए कार्य करे । कवि मैथलीशरण गुप्त की ये पंक्ति आज भी कारगर है और हमेशा रहेगी :
‘जो भरा नही है भावो से, जिसमे बहती रसधार
नही ।
वह ह्रदय नही है पत्थर है, जिसमे स्वदेश का
प्यार नही।’
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सही मायने में आजादी का अर्थ बताने के लिए धन्यवाद नीरज जी । बेहतरीन लेख ।
Thanks Babitajee.
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