शीरी-फ़रहाद के सच्चे प्यार की कहानी : Real Story of Shirin Farhad


सच्चा प्यार ईश्वर का दिया हुआ सबसे खूबसूरत तोहफा है।शीरी फ़रहाद के प्यार की कहानी भी एक सच्ची अमर प्रेम कहानी है ।


आर्मेरिया के बादशाह की बेटी शीरी बहुत ही खूबसूरत थी । पर्शिया के बादशाह ख़ुसरो शीरी की तस्वीर देखकर ही उसकी ओर आकर्षित हो गए । उन्होंनेे अपने विवाह का प्रस्ताव शीरी के पास भेजा । शीरी ने विवाह का प्रस्ताव एक शर्त पर माना कि पर्शिया के लोगो के लिए यदि बादशाह ख़ुसरो दूध का दरिया ला देंगे तो वह उनसे विवाह कर लेगी । बादशाह खुसरो ने शीरी की शर्त मैन ली । नहर खुदवाने का काम जिस व्यक्ति को सौंपा गया वह फ़रहाद था ।

शीरी फ़रहाद
शीरी फ़रहाद

कुछ दिन बाद बादशाह ने शीरी से निकाह कर लिया ।
खुसरो से फ़रहाद को बुलाया एयर शीरी से मिलवाया कि वह शीरी के मन के मुताबिक नहर का काम और खुदाई शुरू करे । शीरी से मिलने के बाद फ़रहाद तो उस पा फिदा हो गया । वह शीरी से प्यार करने लगा । वह नहर खोदते खोदते शीरी का नाम दोहराता । एक दिन फ़रहाद ने शीरी से अपने प्यार का इज़हार किया । लेकिन शीरी ने उसकोअस्वीकार कर दिया और डांटा ।


इधर फ़रहाद हार मानने वाला नही था ।वह तो शीरी के प्यार में दीवाना हो गया था । उसका नाम लेते लेते ही नहर का काम समय से पूर्व की कर दिया ।

बादशाह ख़ुसरो को जब यह पता चला कि वह शीरी से इश्क करता है तो वह बहुत क्रोधित हुआ । फरहाद ने इसके साथ ही बादशाह से भी कह दिया कि वह शीरी से प्यार करता है और उससे निकाह करना चाहता है ।


बादशाह खुसरो  ने फरहाद को मारने के लिए तलवार उठा लिया ।किंतु उनके वजीर ने एक कूटनीतिज्ञ चाल चली उसने फ़रहाद से कहा कि यदि वह अपनी मेहनत से दो पहाड़ियों के बीच सड़क बना देगा तो शीरी से उसका निकाह कर दिया जायेगा । वह जानता था कि फ़रहाद यह मुश्किल कार्य नही कर पायेगा । फिर भी फ़रहाद ने उनकी शर्त मान ली । पूरी शिद्दत से वह सड़क बनाने का कार्य करने लगा । वह शीरी  के प्यार लिए कुछ भी कर सकता था । अपने सच्चे प्यार और मेहनत से  शीरी  का दिल जीत लिया ।

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इस बीच दो पहाड़ियों के बीच सड़क पूरी होते देखकर बादशाह घबरा गया । उसने एक बूढ़ी औरत के द्वारा यह झूठी खबर भिजवा दी कि शीरी ने आत्महत्या कर ली है । जब यह खबर फ़रहाद ने सुनी तो वह अपने आप पर काबू नही रख  सका और उसने अपने सिर पर कुल्हाड़ी मार कर दम तोड़ दिया ।

जब शीरी को फरहाद की मौत की खबर का पता चला तो वह फ़रहाद तक पहुँची लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी । जब उसे बादशाह के छल का पता चला तो उसको बहुत आघात लगा उसने महल लौटने से इनकार कर दिया । शीरी ने भी फ़रहाद के कदमों में ही अपने प्राण त्याग दिए । इन दोनों प्रेमियों को एक साथ वही दफना दिया गया । शीरी -फ़रहाद इस दुनिया से तो चले गए लेकिन अपनी सच्ची मोहब्बत से वे अमर हो गए ।

शीरी-फ़रहाद पर फ़िल्म :

शीरी-फ़रहाद की अमर प्रेम कहानी पर आधारित प्रसिद्ध फ़िल्म 1956 में रिलीज हुई । इसमे नायक की भूमिका में प्रदीप कुमार और नायिका मधुबाला थी । इस फ़िल्म यादगार गाने मोहम्मद रफी और लता मंगेश्कर ने गाये । जो काफी चर्चित रहे ।

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