Teacher’s Day in Hindi :शिक्षक दिवस
प्राचीनकाल से ही गुरु और शिष्य की परंपरा हमारी संस्कृति का हिस्सा रहा है । गुरु ही शिष्य के जीवन संघर्ष में आने वाली कठिनाईयों से लड़ने की प्रेरणा देता है । उसको सफलता की ओर चलने को प्रेरित करता है ।

अलग अलग देशो में यह अलग अलग तिथियों को मनाया जाता है : जैसे चीन में 10 सितम्बर, अमेरिका में 6 मई,ब्राजील में 15 अक्टूबर, फिलीपीन्स में 27 सितंबर, रूस और पाकिस्तान में 5 अक्टूबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है ।
हमारे देश में 5 सितंबर 1962 से को शिक्षक दिवस मनाया जाता है । इस दिन देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन हुआ था । वे एक महान दार्शनिक और उच्च कोटि के शिक्षक थे । देश के अनेक विश्वविद्यालय में उन्होंने पढ़ाया । लंदन के आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी उन्होंने दर्शन शास्त्र पढ़ाया । वे 1952 से 1962 तक देश के उपराष्ट्रपति और 1962 से 1967 तक देश के राष्ट्रपति रहे । जब वे राष्ट्रपति बने तो उनके शुभ चिंतको और छात्रों ने उनके जन्मदिन को मनाने का आग्रह किया । उन्होंन तब यह इक्छा जताई कि इस दिन शिक्षकों को सम्मान मिले , इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए । तभी से 5 सितंबर 1962 से शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा । डॉक्टर राधा कृष्णन के अनुसार,” शिक्षक वह नही है जो छात्र के दिमांग में तथ्यो को जबरन ठूँसे बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करे ।”
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इस दिन स्कूलों ,कालेजो और विश्वविद्यालय विविध कार्यक्रमों का आयोजन होता है । भारत सरकार द्वारा इस दिन श्रेष्ट शिक्षक को पुरस्कार प्रदान किया जाता है । गुरू और शिष्य से जुड़े संस्मरण शेयर किए जाते है । स्कूलों में अनेक कहानियां,नाटक ,भाषणों और वाद विवाद प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है । विद्यार्थी अपने शिक्षकों को सम्मान प्रदर्शित करते है । उन्हें शिक्षक दिवस की बधाइयां संदेश और Watsup किये जाते है । इस दिन गुरु और शिष्य का अनूठा रूप देखने को मिलता है ।
आज शिक्षा का जिस तरह व्यवसायीकरण किया जा रहा है । जातिवाद और धर्म के बंधन को हम तोड़ नही पाये । एकलव्य और गुरु द्रोण के संबंधों की बात तो करते है । लेकिन गुरु और शिष्य दोनो के त्याग से हम अछूते रह जाते है । हमे चाणक्य और चंद्रगुप्त के संबंधों से प्रेरणा लेनी चाहिए । शिक्षकों को यह चाहिए कि वे अपने निजी स्वार्थ से ऊपर उठ कर छात्रों के भविष्य को बनाये उनके मार्ग प्रशस्त करे । देश को आनंद कुमार (Super -30) जैसे शिक्षक नयी राह दिखा सकते है । इसके साथ ही डॉक्टर राधाकृष्णन और डॉक्टर अब्दुल कलाम के आदर्शों पर चल कर देश के भविष्य को उज्ज्वल बनाया जा सकता है ।
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Aapke lekh se bahut hi adhik knowledge prapth Hui ki poore world m kub kub teachers day celebrate hota ha .
So very nice message.
Thanks