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कुमार विश्वास जीवनी | Kumar Vishwas in Hindi |Biography of Kumar Vishwas


डॉ कुमार विश्वास एक कवि वक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता है। उन्होंने हिंदी साहित्य और कविता को एक नए रूप में प्रस्तुत किया। वे देश की समस्याओं और मुद्दों पर बहुत ही बेबाक़ी से अपने विचार  व्यक्त करते हैं । डॉ विश्वास आम आदमी पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता भी रहे है। उन्हें युवाओं में बहुत लोकप्रिय कवि के रूप में जाना जाता है। इसके साथ कि उनकी गायन क्षमता अद्धितीय है । उनकी ओजपूर्ण कविताएं ही उनकी असली पहचान हैं। उनकी कविताएं को परंपरा और आधुनिकता के सेतु के रूप में देखा जा सकता है।


पूरा नाम डॉ कुमार विश्वास शर्मा.
जन्म 10 फरवरी 1070.
स्थान पिलखुआ, गाज़ियाबाद, उत्तरप्रदेश .
व्यवसाय कवि और सामाजिक कार्यकर्ता .
शिक्षा पी एच डी (कौरवी लोक गीतों में लोक चेतना).
पिता का नाम डॉ चंद्रपाल शर्मा (प्रोफेसर).
माता रमा शर्मा (गृहणी).
पत्नी मंजू शर्मा (व्याख्याता).
संतान 2 पुत्रियां .
सम्पर्क पता 3/1084 ,वसुंधरा, गाज़ियाबाद, उत्तरप्रदेश-201012.
मोबाइल नंबर +919560885488.
पुरुस्कार और सम्मान वर्ष -1994 : काव्य कुमार अवार्ड.
वर्ष-2004 डॉ सुमन अवार्ड से सम्मानित.
वर्ष -2006 ‘साहित्य श्री ‘अवार्ड.
वर्ष-2010 डॉ उर्मलेश गीतश्री अवार्ड.

 

प्रारंभिक जीवन :

कुमार विश्वास का जन्म बसंत पंचमी के दिन उत्तर प्रदेश के पिलखुआ में हुआ। उनके पिता डॉ चंद्रपाल शर्मा, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, पिलखुआ में प्रवक्ता रहे हैं। उनकी मां का नाम रमा शर्मा है। कुमार विश्वास चार भाइयों और एक बहन में सबसे छोटे हैं। उनकी पत्नी का नाम मंजू शर्मा है।

विश्वास ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लाला गंगासराय विद्यालय, पिलखुआ से की। उन्होंने पिलखुआ के राजपूताना रेजिमेंट इंटर कॉलेज से बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की । उनके पिता उन्हें इंजीनियर बनाना चाहते थे। लेकिन कुमार विश्वास को विज्ञान विषय और इंजीनियरिंग रास नहीं आया। अतः उसे छोड़ दिया । बचपन से ही वे साहित्य में रुचि रखते थे अतः उसके बाद उन्होंने हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर किया। इसमें उन्होंने स्वर्ण पदक प्राप्त किया। उन्होंने आगे  पी एच.डी.की डिग्री वर्ष 2001 में प्राप्त की । उन्हें उनके शोध विषय ‘लोकचेतना मे कौरवी लोकगीत’ के लिए सम्मानित किया गया।


काम और उपलब्धियाँ:


कुमार विश्वास ने अपना करियर 1994 में राजस्थान के लाला लाजपत राय कॉलेज में हिंदी साहित्य के असिस्टेंट प्रवक्ता के रूप में शुरू किया। साथ ही वे देश-विदेश के कवियों के सम्मेलन में जाते हैं। वह कवि सम्मेलनों और मंचन में बहुत लोकप्रिय हैं। 2011 में, डॉ कुमार विश्वास जन लोकपाल आंदोलन अन्ना हजारे और उनकी टीम में एक सक्रिय कार्यकर्ता रहेे। इसके साथ ही वर्ष 2012 में बनी ‘आम आदमी पार्टी ‘ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य रहे । उन्होंने अमेठी में राहुल गांधी के खिलाफ भी चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। राजनीति में शामिल होने के बाद, उन्हें राजनीति पसंद नहीं आया । कुछ समय बाद, उन्होंने ‘आम आदमी पार्टी’ छोड़ दी ।

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डॉ कुमार विश्वास ने हिंदी साहित्य को एक नई पहचान दी। जहां एक ओर वे ‘कोई दीवाना कहता है ‘ के साथ युवाओं को मंत्रमुग्ध कर करते हैं, वहीं दूसरी ओर ‘अपना अपना राम’ का मंचन कर दर्शकों को भक्ति के सागर में भाव विभोर कर देते है। उनमें बहुमुखी प्रतिभा देखी जा सकती है। हिंदी गीतकार गोपालदास ‘नीरज’ जी ने उन्हें ‘निशा नियामक’ कहा। हास्य कवि सुरेंद्रनाथ जी ने डॉ विश्वास को वर्ष 2006 का आई एस ओ (ISO) कवि कहा। कुमार विश्वास की लोकप्रियता को हजारों प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में छात्रों और शिक्षकों को प्रेरित करने के लिए आमंत्रित किया जाता है। इसमें प्रमुख आई आई टी ,खड़कपुर ,रुड़की ,भुवनेश्वर , आई आई एम लखनऊ ,बी एच यू वाराणसी ,एनआईटी जालंधर आदि है। इसके अलावा उनके काव्यपाठ और मंचन विदेशों में जैसे अमेरिका ,दुबई ,अबूधाबी ,पाकिस्तान और नेपाल में भी सराहा गया । वे पत्र पत्रिकाओं और लेखन कार्य भी करते है। उन्होंने कई सीरियल में टाइटल सांग भी लिखे है।
साहित्य भारती, उन्नाव द्वारा 2004 में डॉ सुमन अलंकरण से सम्मानित किया गया। हिंदी उर्दू अवार्ड अकादमी द्वारा में उन्हें ‘साहित्य श्री ‘से सम्मानित किया। इसके अलावा उन्हे डॉ. कुंवर बेचैन काव्य सम्मान से भी नवाजा गया है।

कुमार विश्वास का कविता संग्रह :


‘कोई दीवाना कहता है ‘,(2007 )
‘एक पगली लड़की के बिन ‘
मुख्य कविताओं में कुछ छोटे सपने ,जाने कौन नगर ठहरगें ,जिसकी धुन पर दुनिया नाचे ,तुन्हे मै प्यार नहीं दे पाउँगा , देवदास मत होना , बाँसुरी चली आओ, माँ , मेरे सपनो के भाग्य में ,होठो पर गंगा हो हाथों पर तिरंगा हो ,विदा लाडो, मौसम के गाँव,रूह जिस्म का ठौर ठिकाना चलता रहता आदि है।

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