झलकारी बाई कौन थी ? Who was Jhalkari Bai ?
वीरांगना झलकारी बाई :( 22 Nov 1830 – ४ April 1858 ) :Virangna Jhalkari Bai
झलकारी बाई झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की महिला सेना ‘दुर्गादल ‘की सेनापति थी । वे बहुत ही साहसी और निडर थी । उन्होंने कई बार अंग्रेजों के आक्रमण को विफल किया ।
उनका जन्म 22 नवम्बर 1830 में झांसी के पास भोजला गांव में एक निर्धन कोली परिवार में हुआ था ।उनके पिता का नाम सदोबा सिंह और माता का नाम जमुनाबाई था । बचपन में ही माँ का देहांत हो गया था । पिता सदोबा सिंह ने झलकारी बाई को युद्ध कला का प्रशिक्षण दिलाया । बचपन से ही उनके बहादुरी के कई किस्से मिलते है । एक बार गाँव में तेंदुआ घुस आया था । झलकारीबाई ने अपनी कुल्हाड़ी से उसको मार कर गाँव वालों को बचाया ।
उनका विवाह झाँसी के वीर सैनिक पूरन कोरी के साथ हुआ । झलकारी बाई की वीरता और साहस देख कर रानी लक्ष्मीबाई ने उन्हें अपनी महिला सेना में रख लिया । उन्हें युद्ध कला का पूर्ण प्रशिक्षण दिया । उनकी शक्ल रानी लक्ष्मीबाई से मिलती -जुलती थी ।
1858 में अंग्रेज़ो ने झांसी के किले को चारों ओर से घेर लिया । झलकारी बाई ने रानी को सलाह दी कि वे दूसरे रास्ते से किले के बाहर निकल जाये । क्योकि देश के लिए रानी का बचना बहुत जरूरी है । इस प्रकार रानी किले के बाहर निकल गयीं । ऐसे में झलकारी बाई रानी की वेशभूषा पहन कर अंग्रेजो से युद्ध करती रही । अंग्रेज झलकारी देवी को ही रानी लक्ष्मीबाई समझ कर युद्ध करते रहे । इसी युद्ध में उनका पति शहीद हो गया । झलकारी बाई ने हयूम ऱोज के समक्ष समर्पण कर दिया । उनसे फाँसी की सजा की माँग की । हयूम ऱोज उसकी साहस और वीरता देखकर आश्चर्यचकित रह गया । उसने कहा कि अगर 1% भी ऐसी महिलाये यदि भारत में होंगी तो बहुत जल्द ही हमे यह देश छोड़ना पड़ेगा ।’
वीरांगना झलकारी बाई ने देश की खातिर अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया । बुंदेलखंड की लोकगाथाओं में झलकारी बाई की वीरता के अनेक गीत मिलते है । 22 जुलाई 2001में भारत सरकार ने झलकारी बाई के सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया । आगरा में उनकी प्रतिमा है । लखनऊ में इनके नाम का चिकित्सालय भी है । कवि मैथली शरण ने झलकारी देवी को अपने शब्दों में सही रेखांकित किया :
‘जा कर रण में ललकारी थी
वह तो झांसी की झलकारी थी।
गोरो से लड़ना सिखा गयी ,
है इतिहास में झलक रही ,
वह भारत की ही नारी थी ।’
वीरांगना झलकारी बाई के बारे में बहुत उपयोगी आर्टिकल शेयर किया आपने. थैंक्स फॉर शेयरिंग….
Thanks Avinash ji
जय रानी झलकारी ….नारी शक्ति को नमन
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“जा कर रण में ललकारी थी
वह तो झांसी की झलकारी थी।
गोरो से लड़ना सिखा गयी ,
है इतिहास में झलक रही ,
वह भारत की ही नारी थी ।”
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Sanny