नयी शिक्षा नीति-2020 : New Education policy-2020 in Hindi :


भारत सरकार ने 29 जुलाई 2020 को नई शिक्षा नीति – 2020 घोषित किया। यह भावी  शिक्षा व्यवस्था का एक विजन है। भारतीय शिक्षा व्यवस्था का एक फ्रेम वर्क है। इसे अभी क्रियान्वयन किया जायेगा। वैसे तो शिक्षा व्यवस्था में हर दस से पंद्रह साल में बदलाव होता है। लेकिन इस बार इसको लागू होने में 34 वर्ष लग गए। प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार,  ‘नयी शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थियों को पढ़ने के बजाय सीखने पर जोर दिया जायेगा। वे अपनी रूचि के अनुसार ज्ञान और कौशल प्राप्त कर सकेंगे। ‘ देश में भारतीय शिक्षा का एक ग्लोबल प्लेटफॉर्म तैयार किया जायेगा इसमे विश्व  के शैक्षिक संस्थानों  को  भी आमंत्रित किये जायेंगे। 


पृष्ठभूमि : 

भारत मे समय समय पर शिक्षा नीति में सुधार की बात कही गयी है । 1948 में डॉ राधा कृष्णन की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग का गठन हुआ । 1948 में कोठारी आयोग की सिफारिश पर आधारित 1968 में पहली बार शिक्षा में बदलाव इंदिरा गांधीआशा  कार्यकाल में हुआ ।
इसके बाद 1985 में शिक्षा को लेकर एक दस्तावेज़ तैयार किया गया इसमे देश के अलग अलग क्षेत्रो के सामाजिक, राजनीतिक और व्यावसायिक बुद्धजीवियों के सहयोग से 1986 में भारत सरकार ने नयी शिक्षा नीति 1986 का प्रारूप तैयार किया गया । इस शिक्षा नीति की विशेषता यह रही कि पूरे देश मे 10+2+3 की संरचना को अपनाया गया । इसे राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल मे लागू किया गया । इस नीति में  1992 में थोड़ा बहुत संशोधन किया गया ।
इसके बाद  भारतीय जनता पार्टी ने 2014 मे  शिक्षा में भाषा ,व्यवसाय और व्यवहारिकता जैसे तमाम मुद्दों  को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया ।  इसके लिए बौद्धिक वर्ग और जनता से सलाह माँगना शुरू कर दिया गया था । नयी शिक्षा नीति -2020 के निर्माण के लिए जून 2017  में पूर्व इसरो (ISRO)प्रमुख डॉक्टर  के . कस्तूरी रंगन की  अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया । प्रिंसटन विश्वविद्यालय के गणितज्ञ मंजुल भार्गव सहित समिति के नौ सदस्य थे।  मई ‘2019 को एक मसौदा तैयार किया गया। कस्तूरी रंगन समिति ने केंद्रीय मानव  संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल को राष्ट्रीय शिक्षा नीति की 484 पृष्टो की रिपोर्ट सौपी गयी। 

नयी शिक्षा नीति 2020  की घोषणा के साथ ही मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। सरकार का ऐसा मानना है कि शिक्षा को संसाधन से जोड़ कर नहीं रखा जा सकता। नयी शिक्षा नीति-2020  के अंतर्गत केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से शिक्षा पर जी डी पी के 6 % के सार्वजनिक व्यय का लक्ष्य रखा गया है। 


नयी शिक्षा नीति -2020  लागू कब होगी :

यह शिक्षा नीति एकदम से लागू नहीं होगी। धीरे धीरे और चरणबद्ध तरीके से लागू होगी।  इस शिक्षा नीति के कुछ प्रावधान 2022 से 2024 में लागू हो सकते है।सरकार ने पूरी शिक्षा व्यवस्था लागू होने का लक्ष्य 2040 रखा है।  

नयी शिक्षा नीति के प्रमुख तथ्य : 

5 +3 +3 +4  पद्धति क्या है : नयी शिक्षा नीति में पुरानी परंपरा  10 +2 ख़त्म हो जायेगी ,उसकी जगह सरकार   5 +3 +3 +4 पद्धति  लायेगी। इसमें 3 से 18 वर्ष की आयु वाले बच्चों को शामिल किया गया है। जो इस प्रकार से है : 

– पांच साल का फ़ाउंडेशन स्टेज – इसमें तीन साल का प्री -प्राइमरी स्कूल और कक्षा  1 और कक्षा  2 शामिल है . 

-तीन वर्ष का प्रीप्रेट्ररी स्टेज -क्लास 3 ,4 ,5 

-तीन वर्ष का मध्य  चरण इसमें क्लास 6 ,7 ,8 होगी। 

-चार वर्ष का उच्च या माध्यमिक चरण -क्लास 9 ,10 ,11 ,12 . 

अर्थात अब बच्चे 6 साल की जगह 3 साल की उम्र में ही स्कूल जाने लगेंगे। अब तक 6 साल की उम्र मे  पहली क्लास  में  बच्चे स्कूल जाते थे। 

पहले 6 से 14 साल के बच्चें  के लिए RTI लागू था। अब 18 साल तक लागू होगा।  यह फार्मूला प्राइवेट और सरकारी दोनों स्कूलों पर लागू  होगा। 

भाषायी विविधता : 

नयी शिक्षा मे पांचवी क्लास  तक की शिक्षा मातृभाषा और स्थानीय या क्षेत्रीय  भाषा में पढ़ाने की बात कही गयी है। इसके साथ ही  कक्षा 8 तक इसी प्रक्रिया को अपनाने की बात कही गयी है। अपनी भाषा में पढ़ाई होने पर बच्चों की समझ जल्दी विकसित होती है। बच्चें  दबाव में नहीं होंगे। स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा में विद्यार्थियों के लिए संस्कृत और अन्य प्राचीन भाषाओं का विकल्प उपलब्ध होगा।  किसी भी विद्यार्थी को भाषा के चुनाव को लेकर कोई बाध्यता नहीं होगी। 

बोर्ड एग्ज़ाम :

बोर्ड की एग्ज़ाम में समय समय पर बदलाव किये गए है।  कभी ग्रेड के आधार पर तो कभी नंबर के आधार पर बदलाव होते रहे है। लेकिन अब परीक्षा लेने के तरीके पर बदलाव किये है। बोर्ड एग्जाम साल में दो बार होंगी। अब यह परीक्षा सेमिस्टर वाइज होगी। 

छात्रों के समग्र विकास के लक्ष्य को ध्यान  में रखते हुए  परीक्षा के मूल्यांकन में भी बदलाव किया जायेगा। उनके मानक निकाय के रूप में ‘परख’ नामक एक नए आकलन केंद्र की स्थापना की जाएगी। 

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अंडर ग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट में बदलाव :

अंडर ग्रैजुएट में अब चार साल का कोर्स होगा। इसमें बीच में कोर्स  छोड़ने की गुंजाईश होगी।  पहले साल के कोर्स पर सर्टिफ़िकेट  दिया जायेगा। दूसरे साल में डिप्लोमा ,तीसरे साल कम्प्लीट करने में डिग्री और चौथे  साल  में डिग्री – शोध के साथ होगी। 

पोस्टग्रेजुएट में पहला विकल्प दो साल का मास्टर ,उनके लिए जिन्होंने ३ साल का डिग्री कोर्स किया है। 

दूसरा विकल्प चार साल का डिग्री शोध करने के बाद 1 साल का मास्टर कोर्स करना होगा। 

तीसरा विकल्प पांच साल का इंटीग्रेटेड प्रोग्राम जिसमे ग्रैजुएट और पोस्ट ग्रैजुएट  दोनों हो जायेगा। 

अब पी. एच. डी  के लिए मान्यता 4 साल की होगी।  M Phil को नयी शिक्षा नीति के तहत समाप्त कर दिया जायेगा  है। 

उच्च शिक्षा नीति में स्कालरशिप देने का प्रावधान किया जायेगा। नेशनल स्कालरशिप को अधिक व्यापक बनाया जायेगा। प्राइवेट  सस्थानो को जो उच्च शिक्षा देंगी उसे छात्रों को 25 % से लेकर 100 % स्कालरशिप 50 % छात्रों को देना अनिवार्य होगा। उच्च शिक्षा संस्थानों  को ग्रांट देने का कार्य ‘हायर एजुकेशन ग्रांट कमीशन’ करेगा। इसके अलावा इन सस्थानो  में अलग अलग  नियम और गाइड लाइन होंगी। 

व्यापक सुधार : 

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद वर्ष 2022 तक शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक (N P S T ) का विकास किया जायेगा। 2030 तक अध्यापन के लिए न्यूनतम डिग्री योग्यता 4 वर्षीय एकीकृत बी. एड.  डिग्री को  अनिवार्य कर दिया जायेगा। 

उच्च शिक्षण संस्थानों में  में सकल नामांकन  अनुपात (Gross Enrolment Ratio ) को 26.3 % वर्ष 2018 से बढ़ा कर 50 % करने का लक्ष्य  रखा  गया है। देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में 3.5 करोड़ ने सीटों को जोड़ा जायेगा। 

स्वतंत्र रूप से राष्ट्रीय शैक्षिक प्रोद्यौगिकी मंच का गठन किया जायेगा इसमें शिक्षण, मूल्यांकन योजना एवं प्रशासन में अभिवृद्धि हेतु विचारो का आदान प्रदान किया जायेगा। 

डिजिटल शिक्षा संसाधनों को विकसित करने के लिए अलग प्रौद्योगिकी इकाई का विकास किया जायेगा।   

नयी शिक्षा नीति से सबंधित चुनौतियां :

महंगी शिक्षा : नयी शिक्षा नीति में विदेशी विश्वविद्यालयों  प्रवेश का मार्ग प्रशस्त किया गया है।  विदेशी  विश्वविद्यालयों में प्रवेश से भारतीय शिक्षण व्यवस्था महंगी हो सकती है। इसके कारण निम्न वर्ग के छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करना मुश्किल होगा। 

 राज्यों का  सहयोग : शिक्षा एक समवर्ती विषय  होने के कारण अधिकांश राज्यों  के अपने स्कूल बोर्ड है। इसका कार्यान्वयन होने के लिए राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के बीच समन्वय होना अति आवश्यक होना चाहिए अन्यथा केंद्र सरकार को विरोध का सामना करना पड़ सकता  है। 

फंडिंग सम्बन्धी जाँच का अपर्याप्त होना : कुछ राज्यों में भी शुल्क संबंधी विनिमय अभी भी लागू है ,लेकिन ये नियामक प्रक्रिया अभी भी  असीमित दान के रूप में मुनाफ़ाखोर पर रोक लगाने पर असमर्थ  है। 

कुशल शिक्षकों का अभाव : राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 के तहत प्रारंभिक शिक्षा हेतु  व्यवस्था के क्रियान्वन में में व्यवहारिक समस्या आएगी क्योंकि कुशल शिक्षकों का अभाव है। 

नयी शिक्षा नीति -2020 की नीति में छात्रों और विद्यार्थियों के हितो की बात कही  गयी है। देश में बेरोजगारी जैसे समस्याओं से निजात दिलाने का प्रयास किया गया है। व्यवहारिक शिक्षा पर भी जोर दिया गया है। हमारी प्राचीन शिक्षा का भी समावेश किया गया है। लेकिन उनका उचित क्रियान्वन हो तो उससे देश का विकास संभव हो सकता है। देश 21 वी सदी का अत्याधुनिक भारत बन सकता है जिसकी विश्व में एक अलग पहचान होगी। 


2 thoughts on “नयी शिक्षा नीति-2020 : New Education policy-2020 in Hindi :

  • September 9, 2020 at 11:19 pm
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    भाई आपने बहुत ही अच्छी जानकारी दी है इससे मेरी ही नहीं बल्कि बहुत सारे लोगो की प्रॉब्लम solve हो गयी है इस तरह की अच्छी जानकारी देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद भाई

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