लैला-मजनूं की वास्तविक कहानी : Real Story of Laila-Majnu in Hindi
प्यार ,मोहब्बत ,इश्क के बारे में चर्चा हो और लैला- मजनूं का जिक्र न हो ऐसा कैसे संभव हो सकता है। लैला-मजनूं सदियों से ही प्यार करने वालों के आदर्श रहे है ।
लैला-मजनूं की वास्तविक कहानी ऐसे समय कि है, जब प्यार करना गुनाह समझा जाता था।
7 वीं शताब्दी मे अरब के रेगिस्तान में एक धनी व्यापारी शाह आमरी के पुत्र हुआ । जिसका नाम कैस इब्न आमरी रखा गया । ज्योतिषियों और मौलवियों ने शाह आमरी से कैस के बारे में भविष्यवाणी कर दी थी कि यह प्यार के चक्कर मे दर दर भटकेगा । यह सुनकर कैस के पिता ने मौलवियों से कहा कि वह ऐसा होने नही देंगे । लेकिन कुदरत में जो लिखा होता है, वह होकर रहता है । कैस ने दमिश्क के मदरसे में आकर्षित दिखने वाली लैला को देखा और उससे प्यार करने लगा । वह उसके बारे में कविताएं लिखने लगा ।
‘मैं इन दीवारों से गुजरता जाऊंगा,
जिनसे लैला गुजरती है
और मैं इस दीवारो को चूमा करूँगा,
जिनसे लैला गुज़रती है ।
यह मेरे दिल मे दीवारों के प्रति प्यार नही है,
जो मेरे दिल को खुश करता है,
लेकिन जो उन दीवारों के पास से चलकर
मेरा ध्यान आकर्षित करती है,
उससे मुझे प्यार है ।’
हालांकि मदरसे में मौलाना ने कैस को काफी समझाया कि वो अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे । लेकिन कैस को हर जगह लैला ही दिखाई देती । लैला भी उसके प्यार में दीवानी हो गयी ।
लैला के घरवालों ने लैला को हर प्रकार से समझाया कि वह मजनूं से न मिले उससे दूर रहे । उसे कई प्रकार की यातनाएँ दी । लैला को घर मे कैद कर लिया गया । कैस लैला के न मिलने से इधर उधर पागलो की तरह भटकने लगा । उसको इस तरह से देखकर लोग उसे मजनूं कह कर पुकारने लगे । मजनूं को उर्दू में पागल कहा जाता है ।
मजनूं के पिता ने लैला के पिता से निकाह करने की बात की लेकिन वे राज़ी नही हुए।
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उन्होंने लैला का विवाह बख्त नाम के अमीर व्यापारी से कर दिया । विवाह के पश्चात लैला ने अपने और मजनूं के बारे में सब बता दिया कि वह मजनूं से प्यार करती है । इसके बाद लैला को बहुत सताया गया । कुछ दिनों के बाद बख्त ने लैला को तलाक दे दिया ।
इसके बाद लैला मजनूं की तलाश निकल गयी । कहते है कि वे एक दूसरे से बेइंतहा प्यार करते थे । लोग जब मजनूं को पत्थर मारते थे तो चोट लैला को लगती थी ।
वे भटकते हुए एक स्थान पर मिले । इन दोनों को सुरक्षित स्थान की तलाश थी । वे राजस्थान के अनूपगढ़ (श्री गंगानगर) जिले बिंजौर ने पहुँच गए । वहां जब वे आराम कर रहे थे तो लैला का भाई वहां पहुँचा और उसने मजनूं का कत्ल कर दिया । मजनूं के मरे हुए शरीर को देखकर लैला ने भी अपने प्राण त्याग दिए ।
लैला मजनूं के मृत्यु के विषय में कई उल्लेख मिलते है कुछ लोगो का कहना है कि वे राजस्थान में एक दूसरे की तलाश में भटक रहे थे और प्यास के कारण उन्होंने
दम तोड़ दिया । जो भी हो लेकिन उनका अंत बहुत ही दुखद हुआ ।
बिंजौर में ही उन्हें एक साथ ही दफना दिया गया । वही पर उनकी मज़ार है । वहां हर वर्ष 15 जून को दो दिनों तक मेला लगता है । उसमें हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सभी धर्मों के लोग आते है । यहाँ आकर प्यार करने वाले दुआ करते है कि उन्हें ऐसा प्यार मिले जैसा लैला को मजनूं से मिला । देश की बीएसएफ़ की पहली सीमा चौकी भी लैला -मजनूं के नाम पर ही था । बाद में इसका नाम मजनूं पोस्ट किया गया ।
लैला-मजनूं पर फ़िल्म :
समय समय पर लैला-मजनूं कहानी पर आधारित कई फ़िल्म और सीरियल बन चुके है। जो की दर्शकों को भावविभोर कर देते है। 2018 में एकता कपूर ने मार्डन लैला मजनूं दिखाया। 1976 में अभिनेता ऋषिकपूर ने मजनूं और अभिनेत्री रंजीता ने लैला की यादगार भूमिका अदा की । वो फिल्म देखकर दर्शक अपने आंसू नहीं रोक पाते। इस फ़िल्म के गीत ; ”हुस्न हाज़िर है मोहब्बत की सजा पाने को, कोई पत्थर से न मारे मेरे दीवाने को ” आज भी याद किये जाते है।
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