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सोहनी महिवाल के प्यार की कहानी: Real Love Story of Sohani Mahival In Hindi:


हीर रांझा ,लैला मजनू और शीरी फ़रहाद की तरह ही सोहनी महिवाल की भी मोहब्बत की  अमर कहानी यादगार है । इनकी जिंदगी पर आधारित कई टीवी धारावाहिक और फिल्म भी समय- समय पर बनती रही है ।


18वी शताब्दी में पंजाब के चिनाब नदी के किनारे  तुला नाम का एक कुम्हार रहता था । उसकी बेटी सोहनी अपने नाम के अनुरूप बहुत ही सुंदर थी । कुम्हार बहुत अच्छे घड़े बनाता और उसकी बेटी सोहनी उन घड़ो पर बहुत की सुन्दर चित्रकारी और कलाकृतियां बनाकर अपनी दुकान पर रखती थी ।

सोहनी महिवाल
सोहनी महिवाल

उज़बेकिस्तान के बुखारा में एक अमीर व्यापारी का शहजादा इज्जतबेग व्यापार करने पंजाब आया । वहां उसने सोहनी को दुकान में देखा तो वह उसकी खूबसूरती को देखता ही रह गया । वह उस पर मोहित हो  गया । सोहनी की नजर जब इज्जतबेग पर पड़ीं तो वह भी उसकी और आकर्षित हो गयी ।


इज्जतबेग ने अपने कारवां के साथ जाने के बजाय तुला के पास ही रहने का मन बना लिया । उसने तुला के यहां की नौकरी कर ली। वह तुला की भैसों को चराने ले जाता था । जिससे वह आगे चलकर महिवाल के नाम से जाना जाने लगा ।

अब सोहनी और महिवाल एक दूसरे को ज्यादा समय देने लगे ।वे एक दूसरे से रोज मिलने लगे । वहां के समाज को सोहनी और महिवाल का मिलना पसंद नही था । वे कुम्हार जाति के अलावा किसी और जाति के लड़के से सोहनी का विवाह नही करना चाहते थे । सोहनी की माँ को जब यह पता चला  की सोहनी महिवाल से मोहब्बत करती है तो उसने सोहनी को बहुत फटकार लगायी । उसके और माँ के बीच कहा- सुनी भी हुयी सोहनी ने अपनी माँ से यहां तक कह दिया कि ‘महिवाल नही मिलेगा तो वह प्राण त्याग देगी ।’ सोहनी के घर वालो ने महिवाल को घर से निकाल दिया । सोहनी की शादी किसी कुम्हार के घर मे कर दी । सोहनी अपने ससुराल चली गयी ।
इधर जीवन से निराश हताश महिपाल इधर उधर भटक रहा था। कुछ दिन के बाद नदी के किनारे कुटी बनाकर रहने लगा । नदी के दूसरे तट पर सोहनी का ससुराल था । सोहनी महिवाल को भूल न सकी।

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सोहनी खत लिखकर महिपाल को अपने दिल का हाल बताती थी इधर महिपाल भी सोहनी को खत लिखता । दोनो मिलने को बेताब रहते थे । सोहनी घड़े की सहायता से रात को तैर कर दूसरे किनारे महिपाल से मिलने पहुँच जाती  । वे इस तरह एक दूसरे से घण्टो मिलने लगे । एक दिन सोहनी को महिवाल से मिलने के लिए जाते हुए उसकी भाभी  ने देख लिया ।
दूसरे दिन उसकी भाभी ने पक्के घड़े की जगह कच्चा घड़ा रख दिया । सोहनी जब कच्चा घड़ा लेकर नदी में  उतरी तो कुछ ही समय मे घड़ा पानी मे घुलने लगा और टूट गया । सोहनी पानी मे डूब गई । महिवाल ने सोहनी को जब डूबते गए देखा तो वह उसे बचाने के लिए वह भी पानी मे कूदा । वह उसे बचा न सका खुद भी डूब गया और उसने भी अपनी जान दे दी । लेकिन उनकी मोहब्बत आज भी जिंदा है ।

सिंध के शाहदपुर में इंडस नदी के किनारे  उनके शवों को निकाला गया । वही पर उनकी यादगार स्मारक बनवाया गया । उनके स्मारक को मुसलमान मजार कहते है और हिन्दू समाधि। आज भी लाखों प्रेमी युगल यहाँ उनको श्रद्धांजलि देने आते है ।

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