Rahim ke dohe in Hindi : रहीमदास जी के प्रसिद्ध दोहे अर्थसहित
रहीमदास जी के दोहे में जीवन की सार्थकता है । अपने दोहे के माध्यम से रहीम दास जी ने जिंदगी की मुश्किलों को आसान बनाया है । उनके नीतिपरक दोहे आज भी प्रचलित और प्रसिद्ध है। रहीमदास जी सभी सम्प्रदाय के प्रति समान आदर रखते थे। मुसलमान होते हुए भी भारतीय संस्कृति से वे भली -भाँति परिचित थे। उन्होंने हिन्दू मुसलमान एकता पर जोर दिया ।
जीवन परिचय : रहीम दास का जन्म 17 दिसंबर 1556 में हुआ था । उनका का पूरा नाम अब्दुर्रहीम खानखाना था। इनके पिता बैरम खां सम्राट अकबर के संरक्षक थे। रहीमदास जी की माता का नाम सुल्तान बेग़म था। वे सम्राट अकबर के दरबार में नवरत्नो में से एक थे। उनकी मुख्य रचनायें ‘रहीम दोहावली’ ,:बरवै’ ,’नायिका भेद’ ,’मदनाष्टक’ ,’रास पंचाध्यायी’ और ‘नगर शोभा’ आदि है । उन्होने तुर्की भाषा में लिखी बाबर की आत्मकथा ‘ तुजके बाबरी’ का फ़ारसी में अंनुवाद किया । रहीमदास जी की मृत्यु 1627 ईस्वी आगरा में हुयी थी ।
Raheem ke dohe in Hindi : रहीम के प्रसिद्ध दोहे :
( 1 )
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो छिटकाय ।
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय ॥
अर्थ : प्रेम रूपी धागा जब एक बार टूट जाता है, तो दोबारा पहले की तरह जोड़ना बहुत मुश्किल हो जाता है । अगर उसे जोड़ भी दिया जाये तो उसमे गांठ पड़ जाती है। प्रेम का रिश्ता बहुत ही नाज़ुक होता है। बिना सोचे समझे इसे तोड़ना उचित नहीं होता है। टूटे हुए रिश्ते को फिर से जोड़ने पर संदेह हमेशा रह जाता है।
( 2 )
जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग।
चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग ।।
अर्थ : रहीमदास जी कहते हैं कि जो अच्छे स्वभाव के मनुष्य होते हैं,उनको बुरी संगति भी बिगाड़ नहीं पाती। जिस प्रकार जहरीले सांप सुगंधित चन्दन के वृक्ष से लिपटे रहने पर भी उस पर कोई जहरीला प्रभाव नहीं डाल पाते।
( 3 )
रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार।
रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुक्ता हार ।।
अर्थ : यदि आपका प्रिय (सज्जन व्यक्ति) सौ बार भी रूठे, तो भी रूठे हुए प्रिय को मनाना चाहिए । क्योंकि यदि मोतियों की माला टूट जाए तो उन मोतियों को बार बार धागे में पिरो लेना चाहिए। क्योकि मोतियों की माला हमेशा सभी के मन को भाती है ।
( 4 )
जैसी परे सो सहि रहे, कहि रहीम यह देह ।
धरती ही पर परत है, सीत घाम औ मेह ।।
रहीमदास जी कहते हैं कि जैसे इस धरती पर सर्दी, गर्मी और बारिश होती है । यह सब पृथ्वी सहन करती है । उसी तरह मनुष्य के शरीर को भी सुख और दुख उठाना और सहना सीखना चाहिए ।
( 5 )
खीरा सिर ते काटि के, मलियत लौंन लगाय।
रहिमन करुए मुखन को, चाहिए यही सजाय।।
अर्थ : खीरे का कड़ुवापन दूर करने के लिए उसके ऊपरी सिरे को काटने के बाद नमक लगा कर घिसा जाता है। कड़ुवे मुंह वाले के लिए कटु वचन बोलने वाले के लिए यही सजा उचित है ।
Related Post :
( 6 )
दोनों रहिमन एक से, जों लों बोलत नाहिं ।
जान परत हैं काक पिक, रितु बसंत के माहिं ।।
अर्थ : कौआ और कोयल रंग में एक समान होते हैं। जब तक ये बोलते नहीं तब तक इनकी पहचान नहीं हो पाती। लेकिन जब वसंत ऋतु आती है, तो कोयल की मधुर आवाज़ से दोनों का अंतर स्पष्ट हो जाता है ।
( 7 )
रहिमन अंसुवा नयन ढरि, जिय दुःख प्रगट करेइ।
जाहि निकारौ गेह ते, कस न भेद कहि देइ।।
अर्थ : आंसू नयनों से बहकर मन का दुःख प्रकट कर देते हैं। सत्य ही है कि जिसे घर से निकाला जाएगा वह घर का भेद दूसरों से बता ही देता है ।
( 8 )
वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग ।
बांटन वारे को लगे, ज्यों मेंहदी को रंग ।।
अर्थ :रहीम दास जी कहते है कि धन्य है वो लोग ,जिनका जीवन सदा परोपकार के लिए बीतता है, जिस तरह फूल बेचने वाले के हाथों में खुशबू रह जाती है । ठीक उसी प्रकार परोपकारियों का जीवन भी खुश्बू से महकता रहता है ।
( 9 )
रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर ।
जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर ।।
अर्थ :रहीम दास जी कहते है कि जब ख़राब समय चल रहा हो तो मौन रहना ही ठीक है। क्योंकि जब अच्छा समय आता हैं, तब काम बनते देर नहीं लगतीं । अतः हमेशा अपने सही समय का इंतजार करे ।
( 10 )
मन मोटी अरु दूध रस, इनकी सहज सुभाय ।
फट जाये तो न मिले, कोटिन करो उपाय ।।
अर्थ :रस, फूल, दूध, मन और मोती जब तक स्वाभाविक सामान्य रूप में है ,तब तक अच्छे लगते है ।
लेकिन यह एक बार टूट-फट जाए तो कितनी भी युक्तियां कर लो वो फिर से अपने स्वाभाविक और सामान्य रूप में नहीं आते ।
( 11 )
बिगड़ी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय ।
रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय ।।
अर्थ :रहीमदास कहते हैं कि मनुष्य को बुद्धिमानी से व्यवहार करना चाहिए । क्योंकि अगर किसी कारण से कुछ गलत हो जाता है, तो इसे सही करना मुश्किल होता है, क्योंकि एक बार दूध खराब हो जाये, तो हजार कोशिश कर ले उसमे से न तो मक्खन बनता है और न ही दूध ।
( 12 )
रहिमन मनहि लगाईं कै, देख लेहूँ किन कोय ।
नर को बस करिबो कहा, नारायण बस होय ।।
अर्थ : रहीमदास जी कहते हैं कि यदि आप अपने मन को एकाग्रचित रखकर काम करेंगे, तो आप अवश्य ही सफलता प्राप्त कर लेंगे। उसीप्रकार मनुष्य भी एक मन से ईश्वर को चाहे तो वह ईश्वर को भी अपने वश में कर सकता है ।
(13 )
जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
रहिमन मछरी नीर को तऊ न छाँड़ति छोह॥
अर्थ : इस दोहे में रहीम दास जी ने मछली के जल के प्रति घनिष्ट प्रेम को बताया है। मछली पकड़ने के लिए जब जाल पानी में डाला जाता है तो जाल पानी से बाहर खींचते ही जल उसी समय जाल से निकल जाता है। परन्तु मछली जल को छोड़ नहीं पाती । वह पानी से अलग होते ही मर जाती है।
( 14 )
तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान ।
कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥
अर्थ : जिस प्रकार पेड़ अपने फल को कभी नहीं खाते हैं, तालाब अपने अन्दर जमा किये हुए पानी को कभी नहीं पीता है। उसी प्रकार सज्जन व्यक्ति भी अपना इकट्ठा किये हुए धन से दूसरों का भला करते हैं।
( 15 )
थोथे बादर क्वार के, ज्यों ‘रहीम’ घहरात ।
धनी पुरुष निर्धन भये, करैं पाछिली बात ॥
अर्थ : जिस प्रकार क्वार के महीने में आकाश में घने बादल दीखते हैं पर बिना बारिश किये वो बस खाली गड़गड़ाने की आवाज़ करते हैं । उस प्रकार जब कोई अमीर व्यक्ति गरीब हो जाता है ,तो उसके मुख से बस अपनी पिछली बड़ी-बड़ी बातें ही सुनाई पड़ती हैं, जिनका कोई मूल्य नहीं होता।
(16 )
रहिमन निज मन की व्यथा, मन में राखो गोय।
सुनि इठलैहैं लोग सब, बाटि न लैहै कोय ॥
अर्थ : रहीमदास जी इस दोहे में हमें अपने मन के दुख को अपने मन में ही रखना चाहिए । क्योंकि दुनिया में कोई भी आपके दुख को बांटने वाला नहीं है। इस संसार में बस लोग दूसरों के दुख को जान कर उसका मजाक उड़ाना जानते हैं ।
( 17 )
एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय ।
रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय॥
अर्थ : इस दोहे में दो अर्थ दृष्टिगत है ,जिस प्रकार किसी पौधे के जड़ में पानी देने से वह अपने हर भाग तक पानी पहुंचा देता है । उसी प्रकार मनुष्य को भी एक ही भगवान की पूजा-आराधना करनी चाहिए । ऐसा करने से ही उस मनुष्य के सभी मनोरथ पूर्ण होंगे। दूसरा अर्थ यह है कि जिस प्रकार पौधे को जड़ से सींचने से ही फल फूल मिलते हैं । उसी प्रकार मनुष्य को भी एक ही समय में एक कार्य करना चाहिए । तभी उसके सभी कार्य सही तरीके से सफल हो पाएंगे।
( 18 )
धनि रहीम जल पंक को लघु जिय पिअत अघाय ।
उदधि बड़ाई कौन हे, जगत पिआसो जाय ॥
अर्थ : रहीम दास जी इस दोहे में कीचड़ का पानी बहुत ही धन्य है ।क्योंकि उसका पानी पीकर छोटे-मोटे कीड़े मकोड़े भी अपनी प्यास बुझाते हैं । परन्तु समुद्र में इतना जल का विशाल भंडार होने के पर भी क्या लाभ ? जिसके पानी से प्यास नहीं बुझ सकती है। यहाँ रहीम जी कुछ ऐसी तुलना कर रहे हैं ,जहाँ ऐसा व्यक्ति जो गरीब होने पर भी लोगों की मदद करता है । परन्तु एक ऐसा भी व्यक्ति , जिसके पास सब कुछ होने पर भी वह किसी की भी मदद नहीं करता है ।अर्थात परोपकारी व्यक्ति ही महान होता है।
(19 )
बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय ।
रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय॥
अर्थ : रहीमदास जी इस दोहे में कहते हैं जिस प्रकार फटे हुए दूध को मथने से मक्खन नहीं निकलता है । उसी प्रकार प्रकार अगर कोई बात बिगड़ जाती है तो वह दोबारा नहीं बनती।
( 20 )
रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि ।
जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तलवारि॥
अर्थ : रहीमदास जी ने इस दोहे में बहुत ही अनमोल बात कही है। जिस जगह सुई से काम हो जाये वहां तलवार का कोई काम नहीं होता है। हमें समझना चाहिए कि हर बड़ी और छोटी वस्तुओं का अपना महत्व अपने जगहों पर होता है । बड़ों की तुलना में छोटो की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए ।
( 21 )
रहिमन निज संपति बिना, कोउ न बिपति सहाय ।
बिनु पानी ज्यों जलज को, नहिं रवि सकै बचाय॥
अर्थ : रहीमदास जी इस दोहे में बहुत ही महत्वपूर्ण बात कह रहे है। जिस प्रकार बिना पानी के कमल के फूल को सूखने से कोई नहीं बचा सकता ।उसी प्रक्रार मुश्किल पड़ने पर स्वयं की संपत्ति ना होने पर कोई भी आपकी मदद नहीं कर सकता है। रहीम जी इस दोहे के माध्यम से संसार के लोगों को समझाना चाहते हैं की मनुष्य को अपनी संपत्ति का संचय करना चाहिए, ताकि मुसीबत में वह काम आये।
( 22 )
रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥
अर्थ :रहीम जी कहते हैं इस संसार में पानी के बिना सब कुछ बेकार है ।इसलिए पानी को हमें बचाए रखना चाहिए। पानी के बिना सब कुछ व्यर्थ है चाहे वह मनुष्य, जीव-जंतु हों या कोई वस्तु। ‘मोती’ के विषय में बताते हुए रहीम जी कहते हैं पानी के बिना मोती की चमक का कोई मूल्य नहीं है। ‘मानुष’ के सन्दर्भ में पानी का अर्थ मान-सम्मान या प्रतिष्ठा को बताते हुए उन्होंने कहा है जिस मनुष्य का सम्मान समाप्त हो जाये उसका जीवन व्यर्थ है।
( 23 )
छिमा बड़न को चाहिये, छोटन को उतपात।
कह रहीम हरि का घट्यौ, जो भृगु मारी लात॥
अर्थ : रहीमदास जी कहते है जिस प्रकार कोई कीड़ा अगर लात मारता है तो कोई फर्क नहीं पड़ता है । उसी प्रकार छोटे यदि गलतियाँ करें तो उससे किसी को कोई हानि नही पहुँचती है । अतः बड़ों को उनकी गलतियों को माफ़ कर देना चाहिये ।
( 24 )
रहिमन ओछे नरन सो, बैर भली न प्रीत ।
काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँती विपरीत ।।
अर्थ: गिरे हुए लोगों से न तो दोस्ती अच्छी होती हैं, और न तो दुश्मनी. जैसे कुत्ता चाहे काटे या चाटे दोनों ही अच्छा नहीं होता ।
( 25)
पावस देखि रहीम मन, कोइल साधे मौन ।
अब दादुर वक्ता भए, हमको पूछे कौन ।।
अर्थ : वर्षा ऋतु को देखकर कोयल और रहीम के मन ने मौन साध लिया है ।अब तो मेंढक ही बोलने वाले हैं। हमारी तो कोई बात ही नहीं पूछता । अभिप्राय यह है कि कुछ अवसर ऐसे आते हैं जब गुणवान को चुप रह जाना पड़ता है. उनका कोई आदर नहीं करता और गुणहीन वाचाल व्यक्तियों का ही बोलबाला हो जाता है ।
………………………………………………………………………………………………………………..
Related Article :
रहीम दास के बहुत ही अच्छे अच्छे दोहे शेयर किये है आपने… आपका धन्यवाद।
Thanks Mohit ji
Pingback: writeaessay
Pingback: writeessay
Very nice
Thanks Deepak ji.
thank you sir bahut hi achha lga padhakar
Thanks Rahul ji
nice Best Software Company in
Dehradun
Best IT company in Dehradun
संत रहीम दास के दोहे with meaning in Hindi. रहीम दास के बहुत ही अच्छे अच्छे दोहे शेयर किये है आपने
Thanks
बहुत अच्छा
धन्यवाद पुष्पेंद्र जी .
Nice sir
Thanks Abhishek ji
Mast dohe parstut kiye Bhai
Thanks Rajvinder ji.
Wow ,It’s wonderful .Ireally like this
Nice and very interesting
It is osm
I loved it
Thanks for the author
Thanks Megha ji
आपके द्वारा लिखे गए कबीर के दोहों ने मुझे बहुत ही उत्साहित किया है इसके लिए आपका धन्यवाद
Thank you Aman jee.
nice post bhai.
THANKS
Pingback: 20+ Rahim Ke Dohe [रहीम के दोहे हिन्दी में व्याख्या सहित]
Thanks neeraj ji for this post. Also Swami Vivekananda Quotes by Gurukul99
Excellent rahim das ji ke dohe …. Good
Thank you Suresh jee
Ye dohe mujhko chahiye the, Thank you apne likh diya yaha.
excilentरहीम के दोहे
रहीम के दोहे
Hello Neeraj Ji, Haw are you, I hope you are alright.
.
you write very well, thanks sir
Thanks Rajkumar jee.
सर आपका ये वेबसाइट बहुत ही शानदार है मुझे समझ नहीं आ रहा में कैसे आपको धन्यवाद करू
Thank you Sanjay ji
Rahim Ke Dohe hume humesa prerna dete hai hume humesa unke adarso par chalna chahiye
Thank you so much sir aapane bahut hi acchi jankari di hai
Thank You Shiv Jee
aapki wajh se mujhe right knowledge mili, aapka bahut bahut dhayna baad
Thank you Abishek jee
Great & useful informative article . thanks for sharing this.
Nice post love it check my site for fast Satta King we provide superfast and all
time result SattaKing also check सट्टा किंग and Satta matka and Sattaking ,you may also like Satta king Disawar And and SattaKing please check Disawar Result or Satta king 786 and Gali Result
Satta king 2
and
sattaking.vip