Abraham Lincoln biography in hindi | अब्राहम लिंकन की जीवनी |


अब्राहम लिंकन एक ऐसे शख्स थे। जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी संघर्ष किया। अपने जीवन में कई बार उनको हार का सामना करना पड़ा। चाहे वो अपनी पढ़ाई को लेकर हो,उनके चुनाव लड़ने को लेकर हो या फिर अपने वैवाहिक जीवन को लेकर हो। कोई भी चीज उनको आसानी से नहीं मिली। 20 वर्ष तक लगातार वो वकालत और अन्य नौकरी करते रहे। इन संघर्षो के बीच उन्होंने जिंदगी से हार नहीं मानी। बल्कि गरीबो और जरुरतमंदो की सहायता भी करते रहे। गरीबो का मुकदमा लड़ने पर उनसे फीस नहीं लेते थे। ऐसे अनेक कहानियां उनकी बायोग्राफी में मिलती है। लगता है ईश्वर उनका इम्तहान ले रहे थे। वर्ष 1961 को उन्होंने इतिहास रच दिया। वे अमेरिका के राष्ट्रपति बने। उन्होंने दुनिया को यह दिखा दिया कि ‘कोशिश करने वालो की हार नहीं होती ।’अपने कर्मो और जुझारूपन के कारण ही उन्होंने अमेरिका को गृह युद्ध से बचाया । दासप्रथा का अंत किया। गोरो और कालो के बीच की दूरी को पाटने का कार्य किया। आगे चलकर उनके सिद्वान्तो पर कई देशो में लोकतंत्र की स्थापना हुयी । भारत भी उनमे से एक था।


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प्रारंभिक जीवन :


अब्राहम लिंकन का जन्म 12 फरवरी 1809 मे होड्ज़ेविल्ले  केंटकी  में एक गरीब अश्वेत परिवार में हुआ था। इनके वंशज इंग्लैंड से आये थे। जो पेलिसिलवानिया और विर्जिनिया में आकर बस गए.उनके पिता का नाम थामस लिंकन था। जो एक किसान थे। लिंकन के पिता  भूमि विवाद के चलते  इंडियाना शिफ्ट हो गए है। इनकी माँ का नाम नैंसी लिंकन था। लिंकन के छोटे भाई का नाम थॉमस और छोटी बहन का नाम सारा था।  1818 ईसवी मे 9 वर्ष की अवस्था उनकी माँ की मृत्यु हो गयी थी।अब्राहिम लिंकन के पिता ने1819 मे दूसरी शादी सारह बुश जॉनसन कर ली। उनके तीन बच्चे थे ,इसके बाद भी उनकी माँ उनसे प्यार करती थी. उन्होंने लिंकन को पढ़ाई करने में पूरी मदद की। लिंकन भी उनको बहुत मानते थे।

अब्राहिम लिंकन को पढ़ने का बड़ा शौक था। वे पुस्तकों को बड़े चाव से पढ़िए थे। इन्हे घर का काम करना पसंद नहीं था। अधिकतर पढ़ाई वे घर में ही करते थे। वे कुल्हाड़ी चलाने में माहिर थे। उस समय दास प्रथा प्रचलित थी। उसे देखकर वे द्रवित हो जाया करते थे । वे उसका जम कर कर विरोध करते थे। गरीबो पर अत्याचार करना और दास प्रथा उन्हें बचपन से ही पसंद नहीं था।वे इसको दूर करना चाहते थे। चूंकि घर की आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी । अतः  लिंकन मैकान काउंटी चले गए। वहाँ उन्होंने कई छोटी -मोटी नौकरी की । एक जनरल स्टोर भी खोला। इसके साथ ही उन्होंने वकालत शुरू कर दी। उनके अनुसार न्याय दिलाने और प्रशासन चलाने  के लिए कानून की जानकारी जरूरी है। उन्होंने 1844 में हर्नदो के साथ वकालत का प्रशिक्षण किया। वकालत करने से उनको मानसिक शांति मिली। उन्होंने कई मुकदमे लड़े ,वे गरीब और लाचार व्यक्तियों से ज्यादा पैसे नहीं लेते थे।


वैवाहिक जीवन : 

अब्राहिम लिंकन को एनी रुटलेज नामक युवती से प्यार हो गया था । लेकिन शादी के पहले ही एनी रुटलेज  की मृत्यु हो गयी। इससे वे बहुत अधिक दुखी हो गए थे। उस समय उनकी आयु 24 वर्ष की थी । कुछ दिन वे डिप्रेशन में भी रहे।लेकिन वक्त के साथ साथ यह ज़ख्म भी भर गया।

4 फरवरी  1842 में उनका विवाह एक अमीर घर की लड़की मेरी टांड से हुआ। उनके आपस के विचार नहीं मिलते थे। लेकिन मेरी टांड उनके साथ बनी रही और उन्होंने लिंकन की कई मामले में मदद की । उनके चार सन्तान हुयी । जिसमे आगे चलकर एक पुत्र रॉबर्ट टाँड ही जीवित रहा।

दासप्रथा की समस्या :

देश में दास प्रथा की समस्या अपने विकराल रूप धारण कर चुकी थी। दक्षिणी राज्यों के स्वामी गोरे थे। उनको सभी प्रकार के अधिकार प्राप्त थे।  लेकिन काले लोगो को कोई भी अधिकार नहीं था । गोरे  दक्षिण अफ्रीका  से कुछ पैसे देकर वहाँ के लोगों को खरीद लिया जाता था। उनसे अपने खेतो में काम कराते थे । उनका शोषण होता था। यदि उनसे कोई गलती हो जाती तो कोड़ों से पीटा जाता था। उत्तरी राज्यों के लोग इस तरह के गुलामी की प्रथा के खिलाफ थे। वे इसे ख़त्म करना चाहते थे। इन दोनों राज्यों के बीच संघर्ष और विद्रोह शुरू हो गया था।दक्षिण राज्य एक अलग देश बनाना चाहते थे। लिंकन दोनों राज्यों को एक जुट करना चाहते थे ।उनके अनुसार अमेरिका का साम्राज्य समानता पर आधारित होना चाहिए ।

अब्राहिम लिंकन और राजनीति :

1837 में लिंकन ‘ व्हिंग पार्टी’ के नेता बन गए। उन्होंने कई चुनाव भी लड़े। लेकिन कुछ समय बाद यह पार्टी ख़त्म हो गयी फिर भी  इससे उनको एक नई पहचान मिली।1856 में वे  नए गणतंत्रवाद रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य बन गए। इस नयी पार्टी के वे बहुत सशक्त नेता के रूप में उभरे। ऐसे में वे उपराष्ट्रपति के चुनाव में खड़े हुए । लेकिन उन्हें बहुत कम वोट मिला और हार का सामना करना पड़ा।अपनी हार से उन्होंने सबक लिया और नए तरीके से राजनीति की । उन्होंने गुलामी प्रथा दूर करने के लिए कई कार्य किये । संसद का चुनाव लड़े ,लेकिन उन्हें वहाँ भी हार का सामना  करना पड़ा। इसके बाद भी वे हिम्मत नहीं हारे और राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 1861 ईस्वी मे  वे अमेरिका के 16 वे राष्ट्रपति बने। राष्ट्रपति बनने के बाद उनका ध्यान रंग भेद को दूर करना था। वे गुलामी व्यवस्था को जड़ से ख़त्म करना चाहते थे।

गृहयुद्ध और लिंकन :

उनके राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों के बीच गृह युद्ध छिड़ गया।  इसके लिए उन्होंने बहुत  संघर्ष किया। इसमें बहुत अधिक संख्या में लगभग 6 लाख लोग मारे गए। अब्राहम लिंकन के प्रयासों से युद्ध शांत हुआ। इसके बाद उन्होंने कानून बनाकर दास प्रथा पर रोक लगा दी। इसप्रकार लिंकन ने अमेरिका को रंग भेद से मुक्ति दिलाई। उन्होंने ऐसे समय में अमेरिका को राह दिखाई जब यह देश  गृह युद्ध की ज्वाला में धधक रहा था। विश्व में सबसे शक्तिशाली राष्ट्रपति के रूप में उन्हें जाना जाता है। 

मृत्यु : 

14 अप्रैल 1865 को अब्राहम लिंकन को उस वक्त गोली मार दी गयी ,जब वे वाशिंगटन के फोर्ड थियेटर में ‘ऑवर अमेरिकन कजिन’ नाटक देख रहे थे। तभी एक जाने माने  रंग कर्मी जॉन वाइक्स बूथ ने उन्हे गोली मार दी। लिंकन को जिस वक्त गोली मारी गयी उस समय उनके निजी सुरक्षा गार्ड जॉन पार्कर  उनके साथ मौजूद नहीं थे। दूसरे दिन सुबह 7 बजकर 22 मिनट पर पैटरसन हाल में उनकी मृत्यु हो गयी। इसके 10 दिन बाद जान वाइक्स बूथ को वर्जिनिया के फार्म हॉउस से पकड़ा। अमेरिका के सैनिको ने उसे मार गिराया। 

सम्मान और यादें :

अब्राहम लिंकन के सम्मान में अनेक डाक टिकट जारी हुए है  उनकी तस्वीर अमेरिका के  डालर मे  दिखाई देती है। उनकी सबसे प्रसिद्ध प्रतिमा  माउंट रशमोर में बनी है। इसे लिंकन मेमोरियल के नाम से जाना जाता है।वाशिगटन डीसी में पीटरसन हॉउस में भी उनकी विशाल मूर्ति बनी है। स्प्रिंगफील्ड इलिनॉय में अब्राहम लिंकन लाइब्रेरी और संग्रहालय बना है जो उनके महान कार्यो की याद दिलाता है। उनके घर के पास ही उनकी कब्र बनाई गयी है।


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