Rabindranath Tagore Quotes In Hindi : रबीन्द्रनाथ टैगोर के अनुमोल विचार :
गुरुदेव नाम से विख्यात रबीन्द्रनाथ टैगोर एक बहुमुखी व्यक्तित्व के स्वामी थे । वे उच्चकोटि के लेखक, कवि,नाटककार, संगीतकार और चित्रकार थे । उनको साहित्य के लिए नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया । ‘जन-गण-मन ‘और ‘अमार सुनार बांग्ला ‘जैसे गान गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा रचित है।
परिचय:

जन्म : 7 मई 1861 ,कलकत्ता ।
पिता : देवेंद्र नाथ टैगोर
माता: शारदा देवी
पत्नी :मृणालिनी देवी (1833-1902)
कार्य: गीतांजली,गोरा,नौका डूबी, घरे बाइरे ।
पुरस्कार: साहित्य के लिए 1913 में नोबेल पुरस्कार ।
मृत्यु : 7 अगस्त 1941 कलकत्ता ।
रबीन्द्रनाथ टैगोर के प्रेरणादायक अनुमोल विचार
1.
“मौत का अर्थ प्रकाश को खत्म करना नही ।यह तो सिर्फ दीपक को बुझाना है । क्योंकि सुबह तो हो चुकी है ।”
2.
“केवल खड़े होकर पानी को ताकते रहने से आप नदी को पार नही कर सकते ।”
3.
“पंखुड़िया तोड़कर आप फूल केI खूबसूरती नही इकट्ठा करते ।”
4.
“हम यह प्रार्थना न करे कि हमारे ऊपर समस्या ना आये बल्कि यह प्रार्थना करे कि हम उनका सामना कैसे करे ।”
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5.
“मित्रता की गहराई, परिचय की लंबाई पर निर्भर करती है ।”
6.
“मिट्टी के बंधन से मुक्त पेड़ के लिए आजादी नही है ।”
7.
.”हम महानता के सबसे करीब तब होते है । जब हम विनम्रता के सबसे करीब होतेे है ।”
8.
.”.कर्म करते हुए हमेशा आगे बढ़ते रहिये और फल के लिए व्यर्थ चिंता न करिये और किया हुआ परिश्रम कभी व्यर्थ नही जाता ।”
9.
“प्रसन्न रहना बहुत सरल है । लेकिन सरल होना बहुत मुश्किल ।”
10.
“हर एक कठनाई जिससे आप मुँह मोड़ लेते है,एक भूत बनकर आपकी नींद में बाधा डालेगी “
11.
जब मैं खुद पर हँसता हूँ तो मेरे ऊपर से मेरा बोझ कम हो जाता है ।”
12.
“प्रेम अधिकार का दावा नही देता बल्कि स्वतंत्रता देता है ।”
13.
“सभी गलतियों के लिए अगर आप दरवाजे बंद कर दोगे तो सत्य बाहर रह जायेगा ।”
14.
“इस दुनिया मे जीने का तभी फायदा है ।जब आप इससे प्रेम करते है ।”
15.
“यदि आप इसलिए रोते है कि कोई सूरज आपके जीवन से बाहर चला गया है तो आपके आँसू आपको सितारों को भी देखने से रोकेंगे ।”
16.
“विश्वास उस पक्षी की तरह है जो प्रकाश को महसूस करता है और जब शांत अंधेरा होता है तब गाता है ।”
17.
“तितली महीने नही बल्कि क्षणो की गिनती करती है और उसके पास पर्याप्त समय होता है ।”
18.
“चंद्रमा अपना प्रकाश सम्पूर्ण आकाश में फैलाता है परन्तु अपना कलंक अपने पास ही रखता है ।”
19.
“आस्था उस पक्षी के समान है जो सुबह अँधेरा होने पर भी उजाले को महसूस करती है ।”
20.
“जो मनुष्य दुसरो का अच्छा करने में बहुत ज्यादा व्यस्थ्य रहते है, वह स्वयं अच्छा होने के लिए समय नही निकल पाते ।”
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